MP हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी ₹8 लाख से ज़्यादा है, तो वो OBC क्रीमी लेयर में आएगा और उसे OBC आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा।
रेलवे कर्मचारी की बेटी के लिए OBC सर्टिफिकेट की याचिका
ये फैसला रेलवे कर्मचारी ललित नारायण धाकड़ की याचिका पर आया। उन्होंने अपनी बेटी के लिए OBC प्रमाण पत्र मांगा था। लेकिन SDO ने उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया, और बाद में कलेक्टर और डिविजनल कमिश्नर ने भी उनके पक्ष में कोई फैसला नहीं लिया।
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कोर्ट ने कहा – आय चाहे कहीं से भी हो, ₹8 लाख पार तो क्रीमी लेयर
हाई कोर्ट ने साफ किया कि आय सैलरी से हो या किसी और स्रोत से, अगर कुल आमदनी ₹8 लाख से ऊपर है, तो व्यक्ति क्रीमी लेयर में माना जाएगा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ये दलील भी खारिज कर दी कि सैलरी के अलावा बाकी स्रोतों से आय कम है। दरअसल, ललित धाकड़ की सैलरी से ही सालाना आमदनी ₹13.73 लाख थी।
क्या होता है क्रीमी लेयर?
क्रीमी लेयर वो कैटेगरी है जिसमें OBC वर्ग के ऐसे लोग आते हैं जो आर्थिक या सामाजिक रूप से मजबूत होते हैं। इस वर्ग को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में OBC आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
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अभी ₹8 लाख की सीमा लागू
- ₹8 लाख सालाना आमदनी से ऊपर वाले परिवार क्रीमी लेयर में आते हैं
- ग्रुप A और B अधिकारियों के बच्चे
- डॉक्टर, इंजीनियर, वकील जैसे प्रोफेशनल्स के बच्चे भी इसी श्रेणी में गिने जाते हैं
- ये लिमिट 2017 से अब तक नहीं बदली गई है, जबकि पहले इसे हर 3 साल में रिव्यू किया जाता था
इस फैसले से साफ हो गया है कि OBC आरक्षण उन्हीं को मिलेगा जो वास्तव में जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर हैं।