Moong Kharidi : मूंग को लेकर सरकार का फैसला बना विवाद का कारण, मूंग जहरीली फिर भी खुले बाजार में इसकी बिक्री सरकार द्वारा हाल ही में लिया गया निर्णय कि गर्मियों में उगाई गई मूंग को जहरीला मानते हुए उसकी सरकारी खरीदी नहीं की जाएगी, अब एक बड़ा विवाद बनता जा रहा है। यह फैसला न केवल किसानों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी चिंता का विषय बन गया है क्योंकि वही मूंग अब भी खुले बाजार में धड़ल्ले से बिक रही है।
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किसानों में रोष, उपभोक्ताओं में चिंता
राज्य सरकार ने दावा किया है कि गर्मी में उगाई गई मूंग में अत्यधिक मात्रा में रासायनिक दवाओं का उपयोग किया गया है, जिससे इसे ज़हरीला माना जा रहा है। इसके चलते सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर इसकी खरीदी बंद कर दी है। जबकि बाजार में यह मूंग ₹6000 से ₹7000 प्रति क्विंटल तक बेची जा रही है, जबकि इसका सरकारी MSP ₹8682 प्रति क्विंटल है। इससे किसान सरकार से नाराज़ हैं और उपभोक्ताओं को भी यह चिंता सता रही है कि अगर मूंग जहरीली है तो खुले बाजार में इसकी बिक्री क्यों हो रही है?
किसान नेताओं का आरोप
इस फैसले के बाद किसान संगठनों ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि बिना वैज्ञानिक प्रमाण के मूंग को ज़हरीला घोषित करना किसानों के साथ अन्याय है और यह कॉर्पोरेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने की साजिश हो सकती है। किसानों का कहना है कि यह कदम उन्हें बाजार में नुकसान झेलने पर मजबूर कर देगा।
मध्यप्रदेश मूंग उत्पादन में अग्रणी
मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा गर्मी के मौसम में मूंग उगाने वाला राज्य है। इस वर्ष राज्य में 13.49 लाख हेक्टेयर भूमि पर मूंग की बुवाई हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 11.59 लाख हेक्टेयर था। नर्मदा बेल्ट के 16 जिले मूंग उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इस बार लगभग 21 लाख टन मूंग उत्पादन का अनुमान है।
रासायनिक दवाओं का उपयोग बना वजह
सरकार का कहना है कि मूंग की फसल को तैयार करने के लिए किसान हर 15 दिन में कीटनाशक, उर्वरक और फफूंदनाशक का छिड़काव करते हैं। फूल आने से रोकने और खरपतवार नियंत्रण के लिए पैराक्वाट जैसे रसायनों का भी प्रयोग किया जाता है। इन्हीं कारणों से सरकार ने इसे “जहरीला” घोषित किया है।
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अगर मूंग जहरीली है तो खुले बाजार में इसकी बिक्री क्यों?
अब बड़ा सवाल यह है कि यदि सरकार के अनुसार मूंग जहरीली है तो उसकी खुले बाजार में बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है? इसके साथ ही जिन रसायनों के कारण इसे जहरीला बताया जा रहा है, उन रसायनों की बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया?