प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक बड़े निवेश घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस घोटाले में ठगों ने निवेशकों को 30 दिनों में पैसा दोगुना करने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी की। ED ने इस मामले में 2.98 करोड़ रुपये की 25 संपत्तियाँ जब्त की हैं। इन संपत्तियों में ज़मीन, मकान और व्यावसायिक संपत्तियाँ शामिल हैं।
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धोखाधड़ी की पूरी कहानी
ED की जांच के अनुसार, आरोपियों ने आम लोगों को मोटे मुनाफे का लालच देकर उनसे निवेश करवाया। शुरुआत में विश्वास जीतने के लिए उन्होंने निवेशकों को पोस्ट-डेटेड चेक भी दिए। इससे निवेशकों को विश्वास हुआ कि उन्हें समय पर भुगतान मिलेगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, पैसे लौटाने के सारे वादे झूठे साबित हुए।
जब निवेशकों ने अपना पैसा वापस माँगा तो उन्हें टालमटोल कर जवाब दिए गए। अंततः जब कोई समाधान नहीं मिला, तो पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। बालाघाट जिले के दो थानों में इस मामले से जुड़ी तीन एफआईआर दर्ज की गईं।
चोरी के पैसों से खरीदी गई संपत्तियाँ
ED की जांच में यह भी सामने आया कि जिन लोगों ने निवेशकों से पैसे लिए, उन्होंने उन पैसों का उपयोग अपने, अपने परिवार के और एजेंटों के नाम पर संपत्तियाँ खरीदने में किया। यह रकम या तो नकद ली गई या फर्म के बैंक खातों से ट्रांजैक्ट की गई थी। जांच में पाया गया कि धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त धन का इस्तेमाल जमीन, मकान और अन्य अचल संपत्तियों में किया गया।
ED ने अब तक जिन 25 संपत्तियों को जब्त किया है, उनकी कुल कीमत लगभग ₹2.98 करोड़ आंकी गई है। जांच अभी जारी है और भविष्य में और भी एफआईआर इस मामले से जोड़ी जा सकती हैं।
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कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई
इस घोटाले में जिन आरोपियों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और मध्य प्रदेश BUDS अधिनियम, 2019 के तहत गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद अब ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की धारा के तहत कड़ा एक्शन लिया है। ED का कहना है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।