बांस की खेती आजकल किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करती है। इसके महत्व को देखते हुए इसे ‘हरित सोना’ भी कहा जाता है।
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बांस घास परिवार का एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो भारत की आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभिन्न जलवायु और परिस्थितियों में आसानी से उग सकता है। एक बार लगाने पर लगभग 40 साल तक लगातार बांस का उत्पादन करता रहता है। इसलिए सरकार बांस की नर्सरी को सब्सिडी दे रही है।
बांस की खेती से किसानों की आय
बांस की खेती किसानों के लिए आर्थिक लाभ का प्रमुख स्रोत बन रही है। इसमें लागत कम आती है और लंबे समय तक लगातार आय मिलती है। रखरखाव भी आसान है। बांस की कटाई कर इसे बेचना आसान होता है और हर साल दोबारा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। बाजार में इसकी अच्छी मांग होने के कारण किसानों के लिए यह आय का एक सरल साधन है।
खेत की तैयारी
बांस की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह जोतकर मिट्टी को भुरभुरी और समतल बनाना चाहिए। पानी की अच्छी निकासी की व्यवस्था करें और खेत को खरपतवार मुक्त रखें। इसके बाद जरूरत के अनुसार खेत में उपयुक्त आकार के गड्ढे खोदें।
बुवाई का समय और तरीका
बांस की कटाई का समय जुलाई महीने में होता है। बीजों के माध्यम से नर्सरी तैयार की जाती है और प्रकंदों द्वारा बुवाई की जाती है।
पोषण की जरूरत
बांस के पौधे को खास पोषक तत्वों की जरूरत नहीं होती। हालांकि, अच्छे विकास के लिए खेत तैयार करते समय वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद मिट्टी में मिला सकते हैं।
बांस की खेती पर सब्सिडी
बांस की खेती के लिए सरकार सरकारी नर्सरी से पौधे मुफ्त देगी। तीन साल में एक पौधे की औसत कीमत 240 रुपये होगी, जिसमें से सरकार 120 रुपये प्रति पौधे देगी। यानी सरकार किसानों को बांस की खेती पर प्रति पौधे 120 रुपये की सब्सिडी देती है।
बांस की खेती के फायदे
एक हेक्टेयर में 1500 से 2500 पौधे लगाकर इनके बीच दूसरी फसलें लेने पर चार साल बाद तकरीबन 3 लाख रुपये की कमाई होने लगेगी। बांस की खेती की खास बात यह है कि इसका पौधा लगभग 40 साल तक रहता है, इसे बार-बार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। एक बार लगाने पर यह आपको कई सालों तक आय दे सकता है। इसके अलावा, खेत की सीमा पर 4×4 मीटर की दूरी पर अन्य फसलों के साथ बांस लगाने पर चौथे साल से एक हेक्टेयर में लगभग 30 हजार रुपये की कमाई होने लगेगी।
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बांस की खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है। इसके अलावा, बांस से कई उपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं जैसे कागज, फर्नीचर, निर्माण सामग्री आदि। इसलिए, बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं और इस हरित सोने से अपनी आय में इजाफा करें।
कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी कृषि संबंधी निर्णय लेने से पहले स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें।