मक्के की टॉप किस्मे किसानो को बना देगी मालामाल, जाने इसकी पूरी जानकरी। गर्मी के मौसम में गेहूँ की फसल कटवाने के बाद किसानों के पास अतिरिक्त आय कमाने का अच्छा मौका होता है। ऐसे में अगर किसानों को नकदी फसलों का ज्ञान हो तो उनकी आय और भी बढ़ सकती है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की प्रोफेसर कुमारी शिखा का कहना है कि नकदी फसल की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
गर्मी के मौसम में किसान ‘बेबी कॉर्न’ की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। गेहूँ की फसल कटवाने के बाद मक्का को जायद फसल के रूप में बोया जा सकता है। इस दौरान मौसम बहुत गर्म रहता है और इसे बेबी कॉर्न के पौधे के विकास के लिए आदर्श माना जाता है। बेबी कॉर्न एक स्वादिष्ट, पौष्टिक और कोलेस्ट्रॉल मुक्त सब्जी है। साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की प्रोफेसर शिखा का कहना है कि गेहूँ की फसल कटवाने के बाद मक्का की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। ‘इंडो गंगेय मैदान’ में मक्का की खेती के विस्तार की अच्छी संभावनाएं हैं।
कुछ विशेष किस्में
इसमें सरकार और गैर सरकारी संगठनों की कंपनी द्वारा मक्का की कुछ विशेष किस्में विकसित की गई हैं। इनमें विवेक मक्का शंकर 23, COBC 1 गोल्डन बेबी, VL मक्का 42, DHM 109, मधुरी (मीठा मक्का), पूसा एक्स्ट्रा अर्ली हाइब्रिड मक्का 5, हाइब्रिड मक्का 5 जैसी किस्में बहुत विशेष हैं। इनकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस फसल को चना, मटर और भिंडी जैसी फसलों के साथ भी उगाया जा सकता है।
बेबी कॉर्न की बुवाई से लेकर इसकी कटाई तक
बेबी कॉर्न की बुवाई से लेकर इसकी कटाई तक का समय अपेक्षाकृत कम है। प्रोफेसर शिखा का कहना है कि इसमें आमतौर पर लगभग 60 से 70 दिन लगते हैं, 6 से 7 के बीच पीएच वाली सूखी मिट्टी बेबी कॉर्न की खेती के लिए आदर्श होती है। बुवाई के लिए खेत को अच्छी तरह से जोतें। 25 किलो / हेक्टेयर बोएं। 40 सेमी × 25 सेमी की दूरी पर क्यारियाँ और नालियाँ बनाएँ।
पौधों के बीच दूरी
साथ ही पौधों के बीच की दूरी 15 सेमी और पत्तियों के बीच की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए। मक्का को कान के उभरने के 1 से 3 दिनों के भीतर ही काट लेना चाहिए। बेबी कॉर्न की कटाई के बाद इसे छायादार जगह पर रखें और इसका छिलका हटा दें। इसे फ्रिज या किसी ठंडे स्थान पर टोकरी या खाने के बैग में स्टोर करें।