Cryptocurrency : RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में साल 2025-26 की दूसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने साफ कहा कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति को बाधित कर सकती है, इसलिए इसके जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।उन्होंने कहा कि फिलहाल क्रिप्टो को लेकर कुछ भी नया बताने के लिए नहीं है क्योंकि सरकार की एक समिति इस पर काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में सरकार को एक स्पष्ट नीति बनाने का निर्देश देने के बाद यह मुद्दा फिर से चर्चा में आया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में केंद्र सरकार से यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि वह क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक पारदर्शी और स्पष्ट नीति बनाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिटकॉइन और अन्य डिजिटल करेंसी का लेनदेन अवैध ‘हवाला’ व्यापार जैसा है और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस संदर्भ में एक अंतर-मंत्रालयी समूह (IMG) का गठन किया गया है, जिसमें आरबीआई, SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड), और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। यह समूह वैश्विक मानकों का अध्ययन कर रहा है ताकि भारत के लिए एक व्यावहारिक नीति बनाई जा सके।
क्या क्रिप्टो भारत में अवैध है?
वर्तमान समय में भारत में Cryptocurrency अवैध नहीं है, क्योंकि इसके लिए कोई स्पष्ट कानून मौजूद नहीं है। हालांकि इसे विनियमित (regulated) भी नहीं किया गया है, जिससे इसकी वैधता पर सवाल बना रहता है।
सरकार ने वर्ष 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर 30% टैक्स लागू किया था। इसके अलावा 1% TDS (टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स) और GST (वस्तु एवं सेवा कर) भी लागू है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि टैक्स लगाना क्रिप्टो को वैध नहीं बनाता।
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वित्तीय अपराध रोकने की कोशिश
भारत सरकार फिलहाल Cryptocurrency को मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) कानून के दायरे में देखकर इसकी निगरानी कर रही है। सरकार का उद्देश्य है कि किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों में क्रिप्टो का उपयोग न हो। यही वजह है कि अब एक विस्तृत चर्चा-पत्र (discussion paper) तैयार किया जा रहा है, जिसमें नीति निर्माण से पहले सभी हितधारकों की राय ली जाएगी।