REPO Rate : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आम जनता और बाजार के लिए एक राहत भरा फैसला लिया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 4 जून से शुरू हुई बैठक के बाद 6 जून को रेपो रेट में 0.50% की कटौती की घोषणा की गई है। अब रेपो रेट घटकर 5.5% रह गया है। यह लगातार तीसरी बार है जब RBI ने रेपो रेट में कटौती की है।
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रेपो रेट में बड़ी कटौती
अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि RBI इस बार रेपो रेट में 0.25% यानी 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा। लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक ने उम्मीद से दोगुना कदम उठाते हुए इसे सीधे 0.50% कम कर दिया। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस निर्णय की जानकारी दी और बताया कि MPC के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस कटौती के पक्ष में मतदान किया।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर बैंकों को RBI से कर्ज मिलता है। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसका सीधा असर आम लोगों पर होता है, क्योंकि बैंक फिर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसी सुविधाओं पर ब्याज दरें कम कर देते हैं। इससे लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचता है और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं।
RBI ने क्यों घटाया रेपो रेट?
देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2024 में GDP ग्रोथ रेट 6.5% रही, जबकि पिछले साल यह 9.2% थी। दूसरी ओर, महंगाई दर नियंत्रण में है। ऐसे में RBI को अपनी मौद्रिक नीति को आसान बनाने का मौका मिला और उसने रेपो रेट में बड़ी कटौती की।
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रेपो रेट कटौती से आम जनता लाभ
रेपो रेट में कटौती के कई फायदे होते हैं, जो आम लोगों की जेब पर सीधा असर डालते हैं। बैंकों द्वारा लिए गए सस्ते कर्ज का फायदा उपभोक्ताओं को मिलता है:
ब्याज दरें घटेंगी: होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की ब्याज दरें कम होंगी, जिससे मासिक किस्तें (EMI) घट सकती हैं।
बाजार में नकदी बढ़ेगी: सस्ता कर्ज मिलने से लोग अधिक निवेश और खर्च करेंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
निवेश पर असर: बचत खातों और FD पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है, जिससे लोग ज्यादा निवेश की ओर आकर्षित हो सकते हैं।