Monday, September 15, 2025

शनि देव पर विश्वास रखे या डर, जानिए वो खतरनाक बातें जो आपको हैरान कर देंगी

शनि देव पर विश्वास रखे या डर, जानिए वो खतरनाक बातें जो आपको हैरान कर देंगी ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों के बारे में बताया गया है, जिसमें सूर्य के पुत्र महाराज शनि सबसे धीमा चलने वाला ग्रह हैं। शनि लगभग 2 साल 6 महीने तक एक राशि में रहते हैं और 12 राशियों का भ्रमण करने में 29 साल 5 महीने 17 दिन 5 घंटे का समय लेते हैं। इसके अलावा, जब शनि देव वक्री या मार्गी होते हैं, तो वह इस स्थिति में लगभग 140 दिन रहते हैं।शनि देव को कर्म प्रधान देवता माना जाता है, जो किसी व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर उसे फल प्रदान करते हैं। शनि देव साढ़े साती और ढैय्या के दौरान भी हर व्यक्ति को दंडित करते हैं। शनि का महादशा 19 साल का होता है, यही कारण है कि लोग शनि देव का नाम सुनते ही डर जाते हैं।

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शनि देव का स्वभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह नीले रंग का होता है। उनकी भौहें तेज और आंखें लाल होती हैं। एक पैर में चोट के कारण शनि देव लंगड़ाकर चलते हैं। शनि देव के गुरु भगवान शिव हैं, जिन्होंने उन्हें न्यायाधीश का दर्जा दिया है।

शनि देव के बारे में लोगों की धारणा

लोगों के बीच यह मान्यता है कि शनि देव बुरे कर्मों का दंड देते हैं। इसलिए शनि देव को न्यायाधीश भी कहा जाता है। इस कारण से लोगों को यह लगता है कि शनि देव दुख और कष्ट देने वाले ग्रह हैं। लेकिन अगर आप अच्छे कर्म करते हैं, गरीबों की मदद करते हैं, श्रमिकों के प्रति उदार होते हैं और महिलाओं और बड़ों का सम्मान करते हैं, तो शनि देव से डरने की कोई बात नहीं है। शनि देव आपके पुण्य कर्मों के अच्छे फल देंगे।

शनि का जीवन पर प्रभाव

ज्योतिषी अनिश व्यास के अनुसार, यदि शनि ग्रह कुंडली के लग्न भाव में होता है, तो यह अच्छा नहीं माना जाता। क्योंकि जब शनि लग्न में होता है, तो व्यक्ति सदाचारी होता है लेकिन शनि के स्वभाव के कारण उनका काम धीमे गति से होता है। ऐसे लोग बड़े फैसले लेने में सक्षम नहीं होते। हालांकि, जिन पर शनि का शुभ प्रभाव होता है, वे मेहनती, ईमानदार और न्यायप्रिय होते हैं, और शनि की कृपा से सफलता प्राप्त करते हैं।

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शनि ग्रह एक शुभ ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह शुभ फल देने वाला ग्रह है और यह नौ ग्रहों में से सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण ग्रह है। लेकिन शनि का शुभ फल तभी मिलता है जब कार्य शनि के स्वभाव के अनुसार किए जाएं। यदि शनि के स्वभाव के अनुसार कार्य किए जाएं, तो शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है। शनि को मोक्ष का प्रदाता भी कहा जाता है।

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