मध्य प्रदेश सरकार ने आवारा पशुओं की समस्या को गंभीरता से लेते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। उच्च न्यायालय और जनता के दबाव के बाद, सरकार ने राज्य के राजमार्गों पर पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 2,000 लोगों को नियुक्त करने का निर्णय लिया है। ये नियुक्तियां मुख्य रूप से उन 1,000 गांवों की ग्राम पंचायतों में की जाएंगी, जो प्रमुख राजमार्गों के किनारे स्थित हैं। इन लोगों का मुख्य कार्य सड़कों पर आवारा पशुओं को रोकना होगा, जिससे दुर्घटनाओं और जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।
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मध्य प्रदेश में लगभग 25,000 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन इस योजना के तहत, उन 1,000 पंचायतों को चुना गया है, जो मुख्य राज्य राजमार्गों पर स्थित हैं। हर पंचायत में दो-दो व्यक्तियों को नियुक्त किया जाएगा, जिन्हें प्रति व्यक्ति 10,000 रुपये का मानदेय मिलेगा। इस संबंध में 21 अगस्त को एक समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया था, जिसमें गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नेतृत्व में अन्य महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी शामिल थे। यह समिति अगले पखवाड़े में एक विशेष अभियान चलाएगी, ताकि आवारा पशुओं की समस्या से निपटा जा सके।
सरकार किसानों को भी जागरूक करेगी और उनसे अपील करेगी कि वे अपने पशुओं को खुले में न छोड़ें। वर्तमान में राज्य में सड़कों पर 9 लाख से अधिक आवारा पशु हैं, जिनके कारण सड़क हादसे हो रहे हैं। केवल 1 जुलाई से अब तक रायसेन, विदिशा, सीहोर, देवास और राजगढ़ जिलों के राजमार्गों पर हुए सड़क हादसों में लगभग 150 पशु मारे गए हैं।
राज्य सरकार ने आवारा पशुओं की समस्या को हल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राजमार्गों को चुना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 21 जून को अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे बारिश के मौसम में आवारा पशुओं के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान करें।
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इसके अलावा, सरकार ने 29 जून को जानकारी दी थी कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में 7,500 गायों को मुक्त कराया गया है और गाय तस्करी में शामिल 1,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच राज्य में गायों के लिए आवंटित राशि में 26 गुना वृद्धि हुई है। राज्य की वर्तमान भाजपा सरकार ने गौशालाओं में रहने वाली गायों के लिए प्रतिदिन मिलने वाली राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया है, जिससे राज्य में लगभग 2,000 गौशालाओं में 9 लाख आवारा पशुओं की देखभाल हो सके।