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मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाला,प्रिंसिपल हटीं,70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी जाँच शुरू

मध्य प्रदेश के हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने नर्सिंग घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। इस चक्कर में, भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज (GMC) की प्रिंसिपल राधिका नायर को उनके पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह अब लीला नलवंशी को नया प्रिंसिपल बनाया गया है।

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हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस नर्सिंग घोटाले में पूरे राज्य के 70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी की है, जिसमें GMC के 12 से ज़्यादा नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर भी शामिल हैं। साथ ही, डिपार्टमेंटल जाँच के भी ऑर्डर दिए गए हैं। ये सब कार्रवाई नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम की रिपोर्ट के बाद हुई है, जिसमें कई कॉलेजों को ठीक-ठाक बताया गया था।

लीला नलवंशी की क्वालिफिकेशन पर सवाल:

नियमों के हिसाब से, नर्सिंग कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के लिए 15 साल का एक्सपीरियंस चाहिए, जिसमें 12 साल पढ़ाने का और 5 साल नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाने का एक्सपीरियंस होना ज़रूरी है। इसके अलावा, MSc नर्सिंग की डिग्री भी होनी चाहिए। लेकिन लीला नलवंशी के पास तो सिर्फ BSc नर्सिंग की डिग्री है, जो कि नियमों के खिलाफ है।

कॉलेज में और भी थे लायक उम्मीदवार:

जानकारी के मुताबिक, भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज में और भी कई लायक उम्मीदवार थे, जिनके पास MSc नर्सिंग और PhD जैसी बड़ी डिग्रियाँ हैं। इनमें स्मिता टिक्की, रजनी नायर, निर्मला अब्राहम और रजनी परे जैसे लोग शामिल हैं। लेकिन इन सबको छोड़कर एक GNM (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) क्वालिफाइड उम्मीदवार को प्रिंसिपल बना दिया गया।

डीन का कहना:

इस पूरे मामले पर डीन डॉ. कविता एन सिंह ने सफाई दी है कि लीला नलवंशी को अभी सिर्फ अंतरिम प्रिंसिपल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि जब इस मामले की जाँच पूरी हो जाएगी, तो नर्सिंग काउंसिल से सलाह करके जो भी लायक उम्मीदवार होगा, उसे परमानेंट प्रिंसिपल बना दिया जाएगा।

नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम पर भी सवाल:

पिछले साल, नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम ने कई कॉलेजों को बढ़िया बताया था, जबकि बाद में हाई कोर्ट की कमेटी ने उन कॉलेजों को बेकार पाया। कई कॉलेजों के पास तो अपनी बिल्डिंग भी नहीं थी, और लैब और हॉस्पिटल जैसी बेसिक चीजें भी नहीं थीं। इसके बावजूद, मई 2024 में CBI ने राज्य के 169 नर्सिंग कॉलेजों को ठीक बता दिया था। इनमें भोपाल के चार कॉलेज भी शामिल थे, जिनमें सही सुविधाएँ नहीं थीं। हाई कोर्ट ने इन कॉलेजों की जाँच पर सवाल उठाए थे और सभी ठीक बताए गए कॉलेजों की दोबारा जाँच करने का ऑर्डर दिया था। इसके बाद, सरकार ने 66 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी।

एनएसयूआई का आरोप – दोषियों को बचाने की कोशिश:

एनएसयूआई के स्टेट वाइस प्रेसिडेंट रवि परमार ने इस पूरे मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कई आरोपी अफसरों और कर्मचारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक साल पहले, तत्कालीन मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर ने करीब 110 नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन चार्जशीट सिर्फ 70 लोगों के खिलाफ जारी की गई है। रवि परमार ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में सही कार्रवाई नहीं हुई और सभी दोषियों को सज़ा नहीं मिली, तो एनएसयूआई पूरे राज्य में प्रदर्शन करेगी।

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डिपार्टमेंटल जाँच और आगे की कार्रवाई:

अब डिपार्टमेंटल जाँच के आदेश दिए गए हैं, जिसमें आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कई अधिकारियों के खिलाफ जाँच चल रही है, और सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की सोच रही है। ऐसे में देखना होगा कि इस मामले की जाँच कहाँ तक पहुँचती है और दोषियों को कितनी कड़ी सज़ा मिलती है।

Ankush Baraskar

मेरा नाम अंकुश बारस्कर है मैं लगातार 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्य कर रहा हूँ। pradeshtak.com के साथ मैं पिछले 1 वर्ष से जुड़ा हूँ. खेती और देश की मुख्य खबरों में मेरी विशेष रूचि है. देश की हर खबर सबसे पहले पाने के लिए pradeshtak.com के साथ जुड़े रहे।

मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाला,प्रिंसिपल हटीं,70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी जाँच शुरू

मध्य प्रदेश के हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने नर्सिंग घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। इस चक्कर में, भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज (GMC) की प्रिंसिपल राधिका नायर को उनके पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह अब लीला नलवंशी को नया प्रिंसिपल बनाया गया है।

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हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस नर्सिंग घोटाले में पूरे राज्य के 70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी की है, जिसमें GMC के 12 से ज़्यादा नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर भी शामिल हैं। साथ ही, डिपार्टमेंटल जाँच के भी ऑर्डर दिए गए हैं। ये सब कार्रवाई नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम की रिपोर्ट के बाद हुई है, जिसमें कई कॉलेजों को ठीक-ठाक बताया गया था।

लीला नलवंशी की क्वालिफिकेशन पर सवाल:

नियमों के हिसाब से, नर्सिंग कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के लिए 15 साल का एक्सपीरियंस चाहिए, जिसमें 12 साल पढ़ाने का और 5 साल नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाने का एक्सपीरियंस होना ज़रूरी है। इसके अलावा, MSc नर्सिंग की डिग्री भी होनी चाहिए। लेकिन लीला नलवंशी के पास तो सिर्फ BSc नर्सिंग की डिग्री है, जो कि नियमों के खिलाफ है।

कॉलेज में और भी थे लायक उम्मीदवार:

जानकारी के मुताबिक, भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज में और भी कई लायक उम्मीदवार थे, जिनके पास MSc नर्सिंग और PhD जैसी बड़ी डिग्रियाँ हैं। इनमें स्मिता टिक्की, रजनी नायर, निर्मला अब्राहम और रजनी परे जैसे लोग शामिल हैं। लेकिन इन सबको छोड़कर एक GNM (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) क्वालिफाइड उम्मीदवार को प्रिंसिपल बना दिया गया।

डीन का कहना:

इस पूरे मामले पर डीन डॉ. कविता एन सिंह ने सफाई दी है कि लीला नलवंशी को अभी सिर्फ अंतरिम प्रिंसिपल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि जब इस मामले की जाँच पूरी हो जाएगी, तो नर्सिंग काउंसिल से सलाह करके जो भी लायक उम्मीदवार होगा, उसे परमानेंट प्रिंसिपल बना दिया जाएगा।

नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम पर भी सवाल:

पिछले साल, नर्सिंग कॉलेज वेरिफिकेशन टीम ने कई कॉलेजों को बढ़िया बताया था, जबकि बाद में हाई कोर्ट की कमेटी ने उन कॉलेजों को बेकार पाया। कई कॉलेजों के पास तो अपनी बिल्डिंग भी नहीं थी, और लैब और हॉस्पिटल जैसी बेसिक चीजें भी नहीं थीं। इसके बावजूद, मई 2024 में CBI ने राज्य के 169 नर्सिंग कॉलेजों को ठीक बता दिया था। इनमें भोपाल के चार कॉलेज भी शामिल थे, जिनमें सही सुविधाएँ नहीं थीं। हाई कोर्ट ने इन कॉलेजों की जाँच पर सवाल उठाए थे और सभी ठीक बताए गए कॉलेजों की दोबारा जाँच करने का ऑर्डर दिया था। इसके बाद, सरकार ने 66 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी।

एनएसयूआई का आरोप – दोषियों को बचाने की कोशिश:

एनएसयूआई के स्टेट वाइस प्रेसिडेंट रवि परमार ने इस पूरे मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कई आरोपी अफसरों और कर्मचारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक साल पहले, तत्कालीन मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर ने करीब 110 नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन चार्जशीट सिर्फ 70 लोगों के खिलाफ जारी की गई है। रवि परमार ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में सही कार्रवाई नहीं हुई और सभी दोषियों को सज़ा नहीं मिली, तो एनएसयूआई पूरे राज्य में प्रदर्शन करेगी।

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डिपार्टमेंटल जाँच और आगे की कार्रवाई:

अब डिपार्टमेंटल जाँच के आदेश दिए गए हैं, जिसमें आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कई अधिकारियों के खिलाफ जाँच चल रही है, और सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की सोच रही है। ऐसे में देखना होगा कि इस मामले की जाँच कहाँ तक पहुँचती है और दोषियों को कितनी कड़ी सज़ा मिलती है।

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