Salary Hike : मध्य प्रदेश के एक लाख पचास हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने उनके वेतन में 2.94% की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी मानी जाएगी। यह फैसला राज्य के वित्त विभाग ने गुरुवार शाम को लिया और इसका लाभ हजारों कर्मचारियों को मिलेगा।
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संविदा कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी
मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को राहत दी है। राज्य सरकार ने 2.94% की दर से उनके वेतन में वृद्धि की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी को महंगाई भत्ते (Dearness Allowance – DA) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) के आधार पर निर्धारित किया गया है। यह निर्णय आने वाले समय में कर्मचारियों के वेतन में ₹300 से ₹1500 की बढ़ोतरी लाएगा, जो उनके मौजूदा वेतन के अनुसार अलग-अलग होगा।
यह बढ़ोतरी वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत से लागू होगी, यानी कि 1 अप्रैल 2025 से इसका लाभ मिलना शुरू होगा। हालांकि, यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार 4% की बढ़ोतरी करेगी, लेकिन फिलहाल 2.94% ही लागू की गई है।
कर्मचारियों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
संविदा कर्मचारियों के लिए यह बढ़ोतरी एक राहत जरूर है, लेकिन इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे सरकार से 4% की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उससे कम बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि ₹300 से ₹1500 की बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है, लेकिन फिर भी यह शुरुआत अच्छी मानी जा सकती है।
राठौर का कहना है कि सरकार को केवल वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें स्थायी करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाना चाहिए। संविदा कर्मचारी लंबे समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।
संविदा कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की मांग
मध्य प्रदेश में हजारों संविदा कर्मचारी वर्षों से नियमितीकरण (permanent) की मांग कर रहे हैं। वे मानते हैं कि वर्षों से सेवा देने के बाद उन्हें स्थायी नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी लाभ मिल सकें। इसको लेकर समय-समय पर राजधानी भोपाल और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं।
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हालांकि, अभी तक राज्य सरकार ने इस विषय पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। संविदा कर्मचारी संघ लगातार यह मांग दोहरा रहा है कि सरकार को इस दिशा में निर्णायक कदम उठाना चाहिए।
इस बढ़ोतरी के फैसले से यह तो स्पष्ट हो गया है कि सरकार संविदा कर्मचारियों की परेशानियों को गंभीरता से ले रही है, लेकिन स्थायित्व की उनकी मांग पर अब भी ठोस निर्णय की प्रतीक्षा है।