मध्यप्रदेश सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। लंबे समय से अटकी हुई इस प्रक्रिया को अब कानूनी हरी झंडी मिलने के बाद अमल में लाया जा रहा है। इससे प्रदेश के लाखों युवाओं को बड़ा लाभ मिलेगा।
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उद्योग नीति और निवेश संवर्धन विभाग ने “मध्यप्रदेश फर्म्स एंड इंस्टीट्यूशंस सर्विस रिक्रूटमेंट रूल्स 1988” में संशोधन करते हुए अब सीधी भर्ती की प्रक्रिया में 27 प्रतिशत पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए हैं। इसके साथ ही अनुसूचित जाति (SC) के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 20% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान भी बरकरार है।
पहले राज्य में ओबीसी को केवल 14% आरक्षण मिलता था, जिसे 2019 में बढ़ाकर 27% कर दिया गया। हालांकि, इस फैसले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई और उस पर रोक लगा दी गई। कई भर्ती परीक्षाएं इस संशोधित आरक्षण व्यवस्था के तहत हुईं, लेकिन उनके परिणाम अटक गए।
2021 में सरकार ने “83:13 फॉर्मूला” लागू किया, जिसमें 27% आरक्षण वाले पदों पर नियुक्ति टाल दी गई और बाकी पदों पर चयन किया गया। इस फार्मूले पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
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अब सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे इस पर कोई कानूनी अड़चन नहीं रह गई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आरक्षित वर्गों में महिलाओं को 35% आरक्षण दिया जाएगा। साथ ही, एससी-एसटी वर्गों के लिए पहले से लागू आरक्षण व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ कहा है कि सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। संबंधित लंबित याचिकाओं पर गंभीर संवाद चल रहा है और अब संशोधित नियमों के साथ 27% आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।