Saturday, July 5, 2025

Pramotion Update : मध्यप्रदेश में प्रमोशन की बाधा ख़त्म, अब हर दो साल में होगी DPC बैठक

Pramotion Update : मध्यप्रदेश सरकार ने एक लंबे इंतजार के बाद उन अधिकारियों और कर्मचारियों को राहत दी है, जो पिछले नौ वर्षों से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट ने विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) नियमों में संशोधन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस बदलाव के बाद अब प्रमोशन प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाएगा।

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पदोन्नति की राह में थी नौ वर्षों की बाधा

राज्य में वर्ष 2016 के बाद से प्रमोशन की प्रक्रिया लगभग ठप पड़ी थी। पुराने नियमों और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण लाखों कर्मचारी और अधिकारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हुआ बल्कि शासन व्यवस्था में भी रुकावटें आईं।

अब हर दो साल में होगी डीपीसी बैठक

नए नियमों के तहत अब हर दो वर्ष में डीपीसी की बैठक आयोजित की जाएगी। जैसे ही पद रिक्त होंगे, उस अनुसार योग्य और वरिष्ठ कर्मचारियों को पारंपरिक प्रक्रिया के तहत प्रमोशन दिया जाएगा। यह नियम अब प्रतिनियुक्ति (deputation) पर कार्यरत कर्मचारियों पर भी लागू होगा।

रहस्यमयी ‘सीआर अंक’ में मिलेगा सुधार का अधिकार

नए नियमों में यह विशेष प्रावधान किया गया है कि अब डीपीसी बोर्ड को कर्मचारी की गोपनीय चरित्र पंजिका (CR) में अधिकतम तीन अंक बढ़ाने या घटाने का अधिकार होगा। इससे प्रमोशन की प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और योग्यता आधारित हो सकेगी।

आरक्षित और अनारक्षित वर्ग में संतुलन का प्रयास

अब तक की प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को लेकर कई बार अनुचित लाभ उठाने के आरोप लगे। नए नियमों में स्पष्ट किया गया है कि पदोन्नति योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर दी जाएगी, जिससे आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्गों में संतुलन स्थापित होगा।

प्रोफार्मा प्रमोशन नियम में भी बदलाव

प्रतिनियुक्ति से लौटे कर्मचारियों को पहले प्रोफार्मा प्रमोशन में काफी इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब नए नियमों के अनुसार जैसे ही कर्मचारी मूल सेवा में लौटेगा, उसे डीपीसी के अनुसार तुरंत प्रमोशन मिल सकेगा।

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सरलीकरण और पारदर्शिता से बढ़ेगा सुशासन

नियमों में किए गए इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी में सुशासन को बढ़ावा देना है। कर्मचारी संगठनों और मंत्रिपरिषद के सुझावों के आधार पर इस नीति को तैयार किया गया है ताकि कर्मचारी वर्ग का मनोबल बढ़ाया जा सके और शासन व्यवस्था में निष्पक्षता लाई जा सके।

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