इमली एक ऐसा फल है जो न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि दवाइयों के निर्माण में भी उपयोगी है। इमली में विटामिन सी और लवणता भरपूर मात्रा में पाई जाती है। भारत में इसे मराठी में “चिंच” कहा जाता है, और इसका वैज्ञानिक नाम Tamarindus indica है। यह पेड़ गर्म और शुष्क जलवायु में पनपता है और लंबे समय तक उपज देने वाला होता है।
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इमली के पेड़ की विशेषताएँ:
विकास: इमली का पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन इसकी उम्र बहुत लंबी होती है। एक वयस्क पेड़ की ऊंचाई 12 मीटर से अधिक हो सकती है।
पत्तियाँ: इसकी पत्तियाँ हरी होती हैं, और अप्रैल, मई और जून में इसके फूल विभिन्न रंगों में खिलते हैं।
उपज: इमली के पेड़ सौ साल से अधिक समय तक उपज देते हैं, इसलिए इनकी खेती में सही दूरी और देखभाल का ध्यान रखना आवश्यक है।
खेती की विधि
इमली के पौधे को जून और जुलाई के महीनों में लगाया जाता है।1 मीटर चौड़ा, लंबा और गहरा गड्ढा खोदें। गड्ढे की मिट्टी में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। हल्की से मध्यम उपजाऊ मिट्टी में 10 x 10 मीटर की दूरी पर रोपण करें, जबकि अच्छी उपजाऊ मिट्टी में 12 x 12 मीटर की दूरी पर रोपण करें। पौधे को नियमित रूप से पानी दें और गड्ढे के चारों ओर मेड़ बना लें ताकि पानी रुका रहे।
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इमली की खेती से कमाई
इमली की बाजार में भारी मांग है और यह 100 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिकती है। एक बार पेड़ लगाकर आप हर साल इससे मुनाफा कमा सकते हैं। इमली की खेती किसान के लिए एक लाभकारी साइड बिजनेस हो सकता है।