Friday, July 4, 2025

क्यों हो जाती है कम उम्र में शुगर की बीमारी, आप भी जान ले ये बड़े कारन हो जाये सावधान

भारत सहित पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में मधुमेह के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। इस बढ़ोतरी के पीछे अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन जैसे कारक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि नींद की कमी भी मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकती है।

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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 7 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह के रोगी थे, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 10.1 करोड़ से अधिक हो गए। पहले मधुमेह मुख्य रूप से 50 वर्ष की उम्र के बाद होता था, लेकिन अब यह मध्य आयु वर्ग और यहां तक कि 20-25 वर्ष की उम्र के लोगों में भी तेजी से बढ़ रहा है। मधुमेह के बढ़ते खतरे को लेकर एक वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि नींद की कमी लोगों को मधुमेह का रोगी बना सकती है।

नींद की कमी से मधुमेह का खतरा

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने सोशल मीडिया पर नींद की कमी के प्रभावों के बारे में बात करते हुए कहा कि नींद की कमी से टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ. सुधीर ने बताया कि अनिद्रा और स्लीप एपनिया जैसी स्थितियों के कारण लोगों को रात में ठीक से सोने में परेशानी हो सकती है। साथ ही दिन में देर से सोने या सुबह जल्दी नहीं उठने जैसे कारण भी मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग देर रात तक काम करते हैं या बहुत देर से सोते हैं, उनमें भी मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है।

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रात की शिफ्ट में काम करने से स्थिति हो सकती है खराब- न्यूरोलॉजिस्ट ने यह भी बताया कि विभिन्न प्रकार की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में भी अन्य लोगों की तुलना में टाइप 2 मधुमेह का खतरा अधिक होता है। देर शाम और रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों की नींद की दिनचर्या भी प्रभावित होती है। इससे उन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है और नींद की गुणवत्ता भी खराब होती है। ऐसे में उन्हें आवश्यक 7-8 घंटे की नींद नहीं मिल पाती है और इससे उनके समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

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