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Indore के इस टाउनशिप में प्लास्टिक से बन रही ईको-ब्रिक, पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनी शालीमार पाम

Indore के इस टाउनशिप में प्लास्टिक से बन रही ईको-ब्रिक, पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनी शालीमार पाम आज भी सड़कों, पार्कों और गलियों में खाली पानी की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक के कैन और पॉलीथिन के ढेर आसानी से देखने को मिलते हैं। सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के प्रयासों के बावजूद इसका उपयोग पूरी तरह बंद नहीं हो पाया है। लेकिन इंदौर के बिचौली मर्दाना क्षेत्र की शालीमार पाम टाउनशिप ने इस समस्या को एक शानदार मौके में बदल दिया है। यहां प्लास्टिक कचरे को फेंका नहीं जाता, बल्कि उसे ईको-ब्रिक बनाकर समाज और पर्यावरण के लिए उपयोग किया जा रहा है।

क्या है ईको-ब्रिक का अनोखा आइडिया

शालीमार पाम टाउनशिप की यह पहल आज इंदौर के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी है। बीते 5 वर्षों में यहां 2000 से अधिक ईको-ब्रिक तैयार की जा चुकी हैं। इनका उपयोग सोसायटी के गार्डन, पेड़ों की क्यारियों और सजावटी निर्माण में हो रहा है। ईको-ब्रिक बनाने की प्रक्रिया भी बेहद सरल है – खाली प्लास्टिक बोतलों में घर में जमा पॉलीथिन व रैपर्स को कसकर भर दिया जाता है। जब बोतल पूरी तरह सख्त हो जाती है, तो वह मजबूत ईको-ब्रिक बन जाती है।

सामूहिक प्रयास से बदल रही तस्वीर

शालीमार पाम के हर घर में लोग इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं और अपने घरों में ईको-ब्रिक बनाकर सामूहिक बॉक्स में जमा करते हैं। यह पहल अब अन्य टाउनशिप, स्कूल और कॉलेजों तक भी पहुंच रही है। समाज के सदस्य शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को प्लास्टिक प्रदूषण और ईको-ब्रिक के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इस छोटे से कदम से न केवल पर्यावरण को सुरक्षित किया जा रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जिम्मेदार नागरिक बनने की शिक्षा भी दी जा रही है।

Indore के इस टाउनशिप में प्लास्टिक से बन रही ईको-ब्रिक, पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनी शालीमार पाम

Indore के इस टाउनशिप में प्लास्टिक से बन रही ईको-ब्रिक, पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनी शालीमार पाम आज भी सड़कों, पार्कों और गलियों में खाली पानी की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक के कैन और पॉलीथिन के ढेर आसानी से देखने को मिलते हैं। सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के प्रयासों के बावजूद इसका उपयोग पूरी तरह बंद नहीं हो पाया है। लेकिन इंदौर के बिचौली मर्दाना क्षेत्र की शालीमार पाम टाउनशिप ने इस समस्या को एक शानदार मौके में बदल दिया है। यहां प्लास्टिक कचरे को फेंका नहीं जाता, बल्कि उसे ईको-ब्रिक बनाकर समाज और पर्यावरण के लिए उपयोग किया जा रहा है।

क्या है ईको-ब्रिक का अनोखा आइडिया

शालीमार पाम टाउनशिप की यह पहल आज इंदौर के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी है। बीते 5 वर्षों में यहां 2000 से अधिक ईको-ब्रिक तैयार की जा चुकी हैं। इनका उपयोग सोसायटी के गार्डन, पेड़ों की क्यारियों और सजावटी निर्माण में हो रहा है। ईको-ब्रिक बनाने की प्रक्रिया भी बेहद सरल है – खाली प्लास्टिक बोतलों में घर में जमा पॉलीथिन व रैपर्स को कसकर भर दिया जाता है। जब बोतल पूरी तरह सख्त हो जाती है, तो वह मजबूत ईको-ब्रिक बन जाती है।

सामूहिक प्रयास से बदल रही तस्वीर

शालीमार पाम के हर घर में लोग इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं और अपने घरों में ईको-ब्रिक बनाकर सामूहिक बॉक्स में जमा करते हैं। यह पहल अब अन्य टाउनशिप, स्कूल और कॉलेजों तक भी पहुंच रही है। समाज के सदस्य शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को प्लास्टिक प्रदूषण और ईको-ब्रिक के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इस छोटे से कदम से न केवल पर्यावरण को सुरक्षित किया जा रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जिम्मेदार नागरिक बनने की शिक्षा भी दी जा रही है।

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