मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के प्रमोशन का ऐलान कर दिया है! पिछले आठ सालों से ये प्रोसेस बंद पड़ा था, जिससे निचले लेवल के पद खाली नहीं हो रहे थे। अब जब प्रमोशन फिर से शुरू होगा, तो पुराने कर्मचारी ऊपर के पदों पर जाएंगे, और इससे अपने आप हज़ारों पद खाली हो जाएंगे। मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी का सपना देख रहे युवाओं के लिए ये एक बहुत बड़ा मौका है!
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एक लाख पद तो पहले से ही खाली!
खबरों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में एक लाख पद पहले से ही खाली पड़े हैं। अफसरों की लापरवाही और सरकारी सुस्ती के चलते इन पर टाइम से भर्ती नहीं हो पाई। अब जब नया प्रमोशन शुरू होगा, तो लगभग उतने ही नए पद और खाली हो जाएंगे, जिससे खाली पदों की गिनती और बढ़ सकती है।
अफसरों की ढिलाई बनी रोड़ा
सरकार ने चार महीने पहले कहा था कि दिसंबर 2024 तक एक लाख पदों पर भर्ती शुरू हो जाएगी। कई पद बनाए भी गए थे, लेकिन कुछ अफसरों ने ध्यान नहीं दिया, जिससे खाली पदों का सही हिसाब नहीं हो पाया। इसी वजह से MPESB को टाइम पर भर्ती की जानकारी नहीं मिल पाई।
नई कोशिशें और स्किल डेवलपमेंट पर ज़ोर
सरकार ने स्किल डेवलपमेंट पार्कों में नए कोर्स और ट्रेनिंग शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, ITI सेंटरों की गिनती भी बढ़ाई जा रही है, ताकि युवाओं को अच्छी टेक्निकल ट्रेनिंग मिल सके।
‘उम्मीदवार’ युवाओं के लिए ज़रूरी बातें:
बात | मतलब |
प्रमोशन से खाली पद | हज़ारों अफसर होंगे प्रमोट, निचले पद होंगे खाली |
पहले से खाली पद | एक लाख पद पहले से ही पड़े हैं खाली |
भर्ती में देरी | अफसरों की लापरवाही से रुका काम |
स्किल ट्रेनिंग पर ध्यान | ITI और नए कोर्स हो रहे हैं शुरू |
सुझाव | बढ़ती आबादी के हिसाब से नए पद बनाना ज़रूरी है |
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‘सिर्फ खाली पद भरने से काम नहीं चलेगा’
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के एक मेंबर ने कहा कि राज्य की आबादी बढ़ रही है, लेकिन सरकारी नौकरियां उतनी ही हैं। सिर्फ खाली पदों को भरने से काम नहीं चलेगा, बल्कि नई भर्तियां निकालना ज़रूरी है। साथ ही, ठेके और आउटसोर्सिंग पर निर्भरता कम करनी होगी, ताकि युवाओं को परमानेंट नौकरी मिल सके।
मध्य प्रदेश में बेरोज़गारी का हाल
मध्य प्रदेश में बेरोज़गारी की हालत लगातार खराब होती जा रही है। सरकार भले ही बेरोजगारों को “उम्मीदवार युवा” कहने लगी हो, लेकिन सच्चाई ये है कि डिग्री वाले आज सड़क पर सब्जी बेचने और ऑटो चलाने को मजबूर हैं। मार्च 2025 तक राज्य के एंप्लॉयमेंट पोर्टल पर रजिस्टर्ड उम्मीदवारों की गिनती 29 लाख पार कर गई है। ये आंकड़ा जुलाई 2024 में दर्ज 25.82 लाख से तीन लाख ज़्यादा है।
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आठ महीने में तीन लाख से ज़्यादा बेरोजगार बढ़े
राज्य में बेरोज़गारी का ये आंकड़ा सिर्फ नंबरों का खेल नहीं है, बल्कि ये युवाओं की ज़िंदगी पर सीधा असर डाल रहा है। 2023 में बेरोजगारों की गिनती 35 लाख से ज़्यादा थी, जो जुलाई 2024 में घटकर 25.82 लाख हो गई थी। लेकिन अब 2025 की शुरुआत तक ये फिर से 29 लाख के करीब पहुंच गई है। इस दौरान ट्रांसजेंडर समुदाय के भी कई लोगों ने एंप्लॉयमेंट पोर्टल पर अपना नाम दर्ज कराया है—2023 में 444 और 2024 में 183 ट्रांसजेंडरों ने रजिस्ट्रेशन कराया।
ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बेरोज़गारी राज्य में एक बड़ी समस्या बनी हुई है। जब पढ़े-लिखे युवाओं को भी ढंग की नौकरी नहीं मिल रही है, तो ये सरकार और समाज दोनों के लिए चिंता की बात होनी चाहिए। नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलती—उन्हें “उम्मीदवार युवा” कहने से ज़मीनी हालात नहीं सुधरेंगे। युवाओं को मौके चाहिए, इज़्ज़तदार नौकरी चाहिए, सिर्फ एक नया नाम नहीं।