Snake Bite : जबलपुर समेत मध्यप्रदेश के कई इलाकों में मानसून के दौरान सांप के काटने से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले वर्ष राज्य में केवल सांप के काटने से करीब ढाई हजार लोगों की मौत हुई थी। यह आंकड़ा राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है, और इसी को देखते हुए अब इसे “स्थानीय आपदा” घोषित किया गया है।
यह भी पढ़िए :- MP का यह हाईवे अब बनेगा फोरलेन, दर्जनों गांवों की जमीन खरीद-फरोख्त पर लगी रोक
मानसून में क्यों बढ़ते हैं सांप के काटने के मामले?
वर्षा ऋतु में सांपों का प्राकृतिक आवास जलभराव से प्रभावित होता है, जिससे वे मानव बस्तियों की ओर रुख करने लगते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में सांप अधिक सक्रिय हो जाते हैं और इनके इंसानों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा गंभीर हो जाती है, जहां लोग खेतों, झोपड़ियों और मिट्टी के घरों में रहते हैं।
जनजागरूकता अभियान की शुरुआत
राज्य सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए एक बड़ा जनजागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। यह अभियान शहरों से लेकर गांवों तक चलाया जाएगा। इसके तहत लोगों को सांप के काटने से बचाव और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जाएगी।
स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से पंचायत और नगरीय वार्ड स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। स्कूलों और कॉलेजों में भी छात्रों को सांप के काटने से होने वाले खतरों और त्वरित उपचार के बारे में बताया जाएगा।
हेल्पलाइन और स्नेक रेस्क्यू टीम की तैनाती
सरकार ने निर्णय लिया है कि हर पंचायत और नगरीय वार्ड स्तर पर प्रशिक्षित ‘सांप मित्र’ या स्नेक कैचर की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा, सांप के काटने के मामलों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए जाएंगे, जो लोगों को त्वरित सहायता प्रदान करेंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे आयोजित
पंचायत सदस्यों, सिविल डिफेंस कर्मियों, डिजास्टर मित्र वॉलंटियर्स और ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को विभिन्न प्रजातियों के सांपों की पहचान, प्राथमिक उपचार और बेहतर प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। कृषि विभाग भी गांवों में चौपालों और स्थानीय कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक करेगा।
यह भी पढ़िए :- MP के इस जिले में 1466 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा नया औद्योगिक क्षेत्र, लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार
स्कूलों में भी दिया जाएगा प्रशिक्षण
छात्रों को स्कूलों और कॉलेजों में इस विषय पर जानकारी दी जाएगी ताकि वे न केवल अपने लिए सतर्क रह सकें बल्कि अपने परिवार और समुदाय को भी जागरूक कर सकें।