हिंदी ▼
होम मध्यप्रदेश भारत ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी खेल लाइफस्टाइल खेती
मेन्यू

टेक्नोलॉजी

मोबाइल AI गैजेट

तेंदूपत्ता संग्राहकों को संबल योजना से बाहर कर रहा सहकारिता विभाग? दो हेक्टेयर भूमि वाले किसानों पर संकट

मध्य प्रदेश के वन विभाग के अंदर जो माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस कोऑपरेटिव फेडरेशन है, उसने एक प्लान बनाया था कि जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक खेती की जमीन है, उनको भी संबल योजना का फायदा दिया जाए। ये सारा खर्चा फेडरेशन के बजट से होना था।

यह भी पढ़िए :- AB-PMJAY: आउटसोर्स कर्मचारी और डिलीवरी बॉय के लिए 5 लाख तक का फ्री इलाज

लेकिन, जो कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट है, उसने अभी तक इस प्लान को हरी झंडी नहीं दिखाई है। इसी वजह से जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक जमीन है, वो संबल योजना के फायदे से वंचित रह गए हैं। मज़े की बात तो ये है कि अशोक बर्नवाल जो कि वन और कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट के बड़े अफसर हैं, वो खुद माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के एडमिनिस्ट्रेटर भी हैं।

इसके बावजूद भी ये हाल है! सुनने में तो ये भी आ रहा है कि बर्नवाल साहब थोड़े नाराज़ हैं क्योंकि उनके डिपार्टमेंट के काम टाइम पर अप्रूव नहीं हो रहे हैं।

असल में, माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में ये तय हुआ था कि जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक खेती की जमीन है, उनको भी आम मौत होने पर दो लाख रुपये और एक्सीडेंट में मौत होने पर चार लाख रुपये की एक्स-ग्रेशिया राशि दी जाएगी, बिल्कुल संबल योजना की तरह। ये सारा पैसा फेडरेशन के बजट से जाना था।

उसी मीटिंग में ये भी डिसाइड हुआ था कि फेडरेशन के अंडर काम करने वाली प्राइमरी माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस कोऑपरेटिव सोसाइटियों के मैनेजरों की सैलरी बढ़ाई जाएगी।

लेकिन, कोऑपरेटिव कमिश्नर ने अभी तक इन दोनों फैसलों को अप्रूव नहीं किया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन कोऑपरेटिव एक्ट के तहत बना है, और इसके फैसलों को कोऑपरेटिव कमिश्नर से अप्रूव करवाना ज़रूरी होता है।

यह भी पढ़िए :- मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज बदला, गर्मी से राहत, बारिश, ओले, तूफान की सम्भावना देखे रिपोर्ट

मध्य प्रदेश स्टेट माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर, विभास ठाकुर का कहना है कि तेंदूपत्ता तोड़ने वालों को संबल योजना जैसी सुविधाएँ देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट से अभी तक परमिशन नहीं मिली है। उन्होंने ये भी बताया कि इस बारे में जल्दी परमिशन देने के लिए कोऑपरेटिव कमिश्नर को दोबारा चिट्ठी लिखी गई है। फिलहाल, जिन तेंदू पत्ता तोड़ने वालों के पास एक हेक्टेयर जमीन है, उनको संबल योजना का फायदा मिल रहा है।

Ankush Baraskar

मेरा नाम अंकुश बारस्कर है मैं लगातार 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्य कर रहा हूँ। pradeshtak.com के साथ मैं पिछले 1 वर्ष से जुड़ा हूँ. खेती और देश की मुख्य खबरों में मेरी विशेष रूचि है. देश की हर खबर सबसे पहले पाने के लिए pradeshtak.com के साथ जुड़े रहे।

तेंदूपत्ता संग्राहकों को संबल योजना से बाहर कर रहा सहकारिता विभाग? दो हेक्टेयर भूमि वाले किसानों पर संकट

मध्य प्रदेश के वन विभाग के अंदर जो माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस कोऑपरेटिव फेडरेशन है, उसने एक प्लान बनाया था कि जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक खेती की जमीन है, उनको भी संबल योजना का फायदा दिया जाए। ये सारा खर्चा फेडरेशन के बजट से होना था।

यह भी पढ़िए :- AB-PMJAY: आउटसोर्स कर्मचारी और डिलीवरी बॉय के लिए 5 लाख तक का फ्री इलाज

लेकिन, जो कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट है, उसने अभी तक इस प्लान को हरी झंडी नहीं दिखाई है। इसी वजह से जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक जमीन है, वो संबल योजना के फायदे से वंचित रह गए हैं। मज़े की बात तो ये है कि अशोक बर्नवाल जो कि वन और कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट के बड़े अफसर हैं, वो खुद माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के एडमिनिस्ट्रेटर भी हैं।

इसके बावजूद भी ये हाल है! सुनने में तो ये भी आ रहा है कि बर्नवाल साहब थोड़े नाराज़ हैं क्योंकि उनके डिपार्टमेंट के काम टाइम पर अप्रूव नहीं हो रहे हैं।

असल में, माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में ये तय हुआ था कि जिन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के पास दो हेक्टेयर तक खेती की जमीन है, उनको भी आम मौत होने पर दो लाख रुपये और एक्सीडेंट में मौत होने पर चार लाख रुपये की एक्स-ग्रेशिया राशि दी जाएगी, बिल्कुल संबल योजना की तरह। ये सारा पैसा फेडरेशन के बजट से जाना था।

उसी मीटिंग में ये भी डिसाइड हुआ था कि फेडरेशन के अंडर काम करने वाली प्राइमरी माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस कोऑपरेटिव सोसाइटियों के मैनेजरों की सैलरी बढ़ाई जाएगी।

लेकिन, कोऑपरेटिव कमिश्नर ने अभी तक इन दोनों फैसलों को अप्रूव नहीं किया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन कोऑपरेटिव एक्ट के तहत बना है, और इसके फैसलों को कोऑपरेटिव कमिश्नर से अप्रूव करवाना ज़रूरी होता है।

यह भी पढ़िए :- मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज बदला, गर्मी से राहत, बारिश, ओले, तूफान की सम्भावना देखे रिपोर्ट

मध्य प्रदेश स्टेट माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर, विभास ठाकुर का कहना है कि तेंदूपत्ता तोड़ने वालों को संबल योजना जैसी सुविधाएँ देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट से अभी तक परमिशन नहीं मिली है। उन्होंने ये भी बताया कि इस बारे में जल्दी परमिशन देने के लिए कोऑपरेटिव कमिश्नर को दोबारा चिट्ठी लिखी गई है। फिलहाल, जिन तेंदू पत्ता तोड़ने वालों के पास एक हेक्टेयर जमीन है, उनको संबल योजना का फायदा मिल रहा है।

Join WhatsApp

Join Now