मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की रहने वाली 46 साल की उमा कुशवाहा पिछले छह महीने से सरकारी रिकॉर्ड में मरी हुई दिखाई जा रही थीं। उनके पति की मौत अक्टूबर 2023 में हुई थी, और उसके बाद न जाने कैसे अधिकारियों ने उमा का नाम ही सरकारी पोर्टल से हटा दिया। उमा का कहना है कि ये जानबूझकर किया गया, जबकि अफसर इसे “गलती” बता रहे हैं।
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पति की मौत के बाद बंद हो गई मदद
उमा बताती हैं कि पति की मौत के बाद लाडली बहना योजना से मिलने वाली ₹1,250 की मदद उनके लिए बहुत सहारा थी। लेकिन नवंबर 2024 के बाद ये पैसा आना बंद हो गया। यहां तक कि पति के अंतिम संस्कार के लिए भी उन्हें ₹20,000 का कर्ज लेना पड़ा।
जब उमा ने गांव के रोजगार सहायक से पूछा तो उसने कहा, “जनपद ऑफिस से पूछेंगे,” लेकिन कुछ हुआ नहीं। जनवरी में उमा ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। तब जाकर पता चला कि उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है।
अब जिंदा तो हैं, पर मदद नहीं मिल रही
मार्च 2025 में उमा का रिकॉर्ड तो ठीक हो गया, लेकिन लाडली बहना योजना की किस्त और विधवा पेंशन अब तक नहीं मिली।
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उमा का सवाल है – “मेरे पति की मौत हुई थी, फिर मेरा नाम सिस्टम से कैसे हट गया?”
रोजगार सहायक शिवराम सिंह कंवर ने कहा कि गलती से पति की जगह उमा का आईडी डाल दिया गया। पंचायत सचिव श्याम सुंदर पाव ने माना कि गलती हुई, लेकिन अब सुधार कर दिया गया है। हालांकि, लाडली बहना योजना का पोर्टल फिलहाल बंद है, इसलिए जब तक पोर्टल नहीं खुलेगा, तब तक पैसे नहीं मिल पाएंगे।