मध्य प्रदेश के जो डिस्ट्रिक्ट के सहकारी बैंक हैं, उनकी हालत एकदम खस्ता है। ये बात तो राज्यसभा में भी उठ चुकी है। शिवपुरी जिले का सहकारी बैंक तो एकदम दिवालिया हो गया है! यहाँ के कस्टमर अपने ही जमा किए हुए लाखों रुपयों के लिए तरस रहे हैं, उन्हें हज़ार रुपया भी नहीं मिल रहा।
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नरवर के खनियाधाना के गुलाब पाल और चकरमपुर के मुलायम सिंह नाम के दो कस्टमर अपनी बेटियों की शादी के लिए बैंक से अपने ही पैसे निकालने के लिए कलेक्टर साहब के पास फरियाद लेकर गए थे। दोनों गाँव वालों का कहना है कि बैंक वाले एक हज़ार रुपया भी नहीं दे रहे।
गुलाब पाल की बेटी शिवानी और मुलायम सिंह की बेटी पूजा की शादी 29 अप्रैल को है। दोनों ने पब्लिक सुनवाई में बताया कि सहकारी बैंक में एक हज़ार रुपया निकालना भी मुश्किल हो रहा है। जब अपना जमा पैसा निकालने जाते हैं, तो बैंक वाले सात दिन में सिर्फ एक हज़ार रुपया देते हैं। ऐसे में वो अपनी बेटियों की शादी कैसे करेंगे! एक कस्टमर के बैंक में 3 लाख और दूसरे के 2 लाख रुपये जमा हैं।
खनियाधाना के रहने वाले गुलाब पाल ने कहा कि उनकी बेटी शिवानी की शादी 29 तारीख को है। जैसे-जैसे शादी की तारीख नज़दीक आ रही है, उन्हें खर्चों की चिंता हो रही है। बैंक में पैसा जमा है और अगर शादी से पहले ये पैसा नहीं मिला तो वो अपनी बेटी की शादी ठीक से नहीं कर पाएंगे। उन्होंने ये भी सुना है कि बैंक को अभी कुछ दिन पहले 50 करोड़ रुपये मिले हैं, तो अब तो बैंक उनका पूरा पेमेंट एक बार में कर सकता है।
बैंक में जमा रकम दिलाने की गुहार
दूसरे मामले में, नरवर के चकरमपुर के मुलायम सिंह ने भी ऐसा ही दुखड़ा रोया। उनकी बेटी पूजा की शादी भी 29 अप्रैल को है। मुलायम सिंह का कहना है कि बैंक खाते में पैसा जमा है, लेकिन बेटी की शादी के लिए बैंक से पैसा नहीं मिल रहा है। अपनी बेटियों की शादी की चिंता में दोनों पिताओं ने कलेक्टर से बैंक में जमा रकम दिलाने की गुहार लगाई है। पब्लिक सुनवाई में दोनों कस्टमरों को भरोसा दिलाया गया है कि इसके लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे।
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बता दें कि बैंकों की माली हालत का मुद्दा राज्यसभा में भी उठ चुका है। कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह ने सहकारी विधेयक पर चर्चा के दौरान ये बात उठाई थी। उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में 4536 प्राइमरी सहकारी समितियों में से 3800 यानी करीब 80 फीसदी भारी नुकसान में हैं। ये सब कर्ज़ में डूबी हुई हैं। एमपी के 38 जिला सहकारी बैंकों में से 13 बैंकों की हालत इतनी खराब है कि वो 2 हज़ार रुपये भी नहीं दे सकते।