MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दूसरे राज्य का जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा मध्यप्रदेश में आरक्षण का लाभ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि किसी भी दूसरे राज्य से जारी हुआ जाति प्रमाण पत्र, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति से संबंधित आरक्षण लाभ के लिए मान्य नहीं होगा। कोर्ट के अनुसार, आरक्षण का लाभ केवल उसी राज्य के जाति प्रमाण पत्र पर मिलेगा जहाँ व्यक्ति उस लाभ को प्राप्त करना चाहता है।
उज्जैन महापौर चुनाव में हुआ था विवाद
यह मामला साल 2015 के उज्जैन नगर निगम महापौर पद के चुनाव से जुड़ा हुआ है। उस समय यह पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। प्रत्याशी प्रीति गहलोत ने नामांकन पत्र के साथ राजस्थान से जारी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र लगाया था। लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश का नहीं है। इसके खिलाफ प्रीति गहलोत ने उज्जैन जिला न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी का निर्णय सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने दी राज्य आधारित आरक्षण की पुष्टि
प्रीति गहलोत ने इसके बाद हाईकोर्ट में अपील की और तर्क दिया कि बैरवा जाति राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों में ही अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध है, इसलिए प्रमाण पत्र मान्य होना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2014 के आदेश को आधार मानते हुए कहा कि यदि जाति प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश से जारी नहीं है, तो उस पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
चुनाव याचिका भी की गई खारिज
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार केवल मध्यप्रदेश से जारी जाति प्रमाण पत्र पर ही यहां आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस आधार पर हाईकोर्ट ने चुनाव याचिका को खारिज करते हुए निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को सही ठहराया।