मध्यप्रदेश में बिजली विभाग द्वारा लगाए गए स्मार्ट मीटर अब आम जनता के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। खासकर झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जहां पहले हर महीने का बिल ₹200 से ₹500 के बीच आता था, वहीं अब छह महीनों में ₹24,000 से ₹30,000 तक के बिल थमाए जा रहे हैं। कई जगह तो बिल लाखों में पहुंच गए हैं।
स्मार्ट मीटर से आई बिजली का झटका
भोपाल के निवासी भगवान सिंह, जो तीन कमरों के मकान में रहते हैं और एक टिफिन सेंटर चलाते हैं, को जनवरी से जून के बीच ₹24,546 का बिजली बिल मिला है। जबकि उनके पास सिर्फ एक फ्रिज, दो कूलर और दो एलईडी बल्ब हैं। महीने की ₹8–10 हजार की कमाई में इतना भारी बिल चुकाना उनके लिए असंभव हो गया है। मजबूरी में अब वे पड़ोसी से बिजली लेकर काम चला रहे हैं।
अकेली बुजुर्ग महिला की जिंदगी में अंधेरा
गुलाब बाई, एक बुजुर्ग महिला, जो अकेली रहती हैं और सब्जी बेचकर गुज़ारा करती हैं, को ₹22,213 का बिल थमाया गया है। उनके घर में सिर्फ एक कूलर और दो ट्यूब लाइट हैं। बिल न चुका पाने की वजह से पिछले एक महीने से उनके घर की बिजली काट दी गई है।
विदिशा में लाखों के बिजली बिल से हड़कंप
विदिशा की आजगराम कॉलोनी की झुग्गियों में रहने वाले मजदूरों को ₹7 लाख से ₹7.42 लाख तक के बिजली बिल दिए गए हैं। सलोनी, पिंकी, और किरण अहिरवार जैसी महिलाएं, जिनके घरों में सिर्फ एक बल्ब और पंखा चलता है, अब इस बिल के बोझ से टूट चुकी हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और जनता के सवाल
कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि स्मार्ट मीटर जनता के हित में हैं और दोनों मीटर की रीडिंग एक जैसी होगी। लेकिन सवाल यह है कि जब मध्यप्रदेश बिजली में आत्मनिर्भर है, तब छोटे घरों में इतने भारी-भरकम बिल क्यों आ रहे हैं? मीटर तो स्मार्ट हो गया, पर सिस्टम कब स्मार्ट बनेगा?