मध्यप्रदेश में इस बार मानसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गया है, लेकिन यह मेहरबानी अब किसानों के लिए मुसीबत बन चुकी है। प्रदेश के कई जिलों में औसत से अधिक वर्षा हुई है, जिसके कारण फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के पांच जिलों—भिंड, शिवपुरी, दतिया, डबरा और करैरा—की स्थिति बेहद गंभीर बताई जा रही है।
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प्रदेश कांग्रेस ने इन इलाकों में तत्काल सर्वे और किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC) की धारा 6-4 में संशोधन कर खेत को सर्वे की इकाई बनाने की भी मांग की है ताकि किसानों को उचित राहत मिल सके।
भारी बारिश से बर्बादी कांग्रेस का प्रशासन पर हमला
मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुकेश नायक ने प्रेस में चिंता जताते हुए कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल के पांच जिलों में भारी बारिश से कम से कम 200 गांवों में फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। खासकर दतिया जिले के सेवढ़ा, भांडेर और दतिया विकासखंडों तथा डबरा और करैरा क्षेत्र की स्थिति अत्यंत खराब है। यहां तिलहन और दलहन की फसलें शत-प्रतिशत नष्ट हो चुकी हैं।
नायक ने आरोप लगाया कि इतनी भीषण तबाही के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है और राजस्व विभाग की टीमें अब तक गांवों में नहीं पहुंची हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “जब गांवों में तबाही साफ दिखाई दे रही है तो सर्वे करने राजस्व विभाग की टीमें क्यों नहीं भेजी गईं?”
किसानों पर दोहरी मार, घर भी टूटे
मुकेश नायक के अनुसार, पहले से कर्ज में डूबे किसान इस प्राकृतिक आपदा के कारण गंभीर आर्थिक संकट में आ गए हैं। सिर्फ फसलें ही नहीं, सैकड़ों ग्रामीण और शहरी इलाकों में मकान भी ढह गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
उन्होंने मांग की कि जिन परिवारों के घर गिर गए हैं, उन्हें राहत शिविरों की सुविधा दी जाए और स्थायी पुनर्वास की योजना बनाई जाए। साथ ही, इन किसानों के कर्ज माफ किए जाएं और अगली फसल के लिए उन्हें सहायता प्रदान की जाए।
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कांग्रेस की मुख्य मांगें
कांग्रेस पार्टी ने प्रशासन से मांग की है कि:
- सभी प्रभावित गांवों में तुरंत राजस्व विभाग की टीमें भेजकर पारदर्शी सर्वे किया जाए।
- हर खेत को सर्वे की इकाई मानकर मुआवजा तय किया जाए, ताकि किसान को उसका सही हक मिल सके।
- जिन किसानों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं, उन्हें उचित मुआवजा और अगली फसल के लिए बीज, खाद आदि में सहायता दी जाए।
- जिनके मकान गिरे हैं, उन्हें राहत शिविर और पुनर्वास की सुविधा मिलनी चाहिए।
- इन जिलों के किसानों का कर्ज तुरंत माफ किया जाए।