मध्यप्रदेश सरकार अब सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर अब हर साल सिर्फ एक बार परीक्षा ली जाएगी, ठीक UPSC की तरह। इसके बाद सभी पदों के लिए एक ही मेरिट लिस्ट और एक ही वेटिंग लिस्ट तैयार होगी।
यह भी पढ़िए :- तीन राज्यों के 21 जिलों से बनेगा नया चंबल प्रदेश, 4 मई को तय होगी नई तस्वीर
बार-बार फीस और एग्जाम से मुक्ति
अभी तक PSC और स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड बार-बार अलग-अलग परीक्षाएं कराते थे। इससे कैंडिडेट्स को बार-बार फीस भरनी पड़ती थी और एग्जाम देना पड़ता था। अब यह झंझट खत्म होगा। हर साल सितंबर में सभी विभागों से खाली पदों की जानकारी ली जाएगी और उसी के हिसाब से अगले साल का एग्जाम कैलेंडर बनेगा।
मेरिट से होगा सेलेक्शन
नई व्यवस्था में कैंडिडेट्स से आवेदन के समय उनकी पोस्ट चॉइस ली जाएगी। सेलेक्शन मेरिट के आधार पर होगा। अगर कोई कैंडिडेट एक से ज्यादा पोस्ट के लिए सिलेक्ट होता है, तो वह एक पोस्ट चुन सकता है और बाकी पोस्ट वेटिंग लिस्ट वालों को मिल जाएगी।
सब कुछ रहेगा ऑनलाइन और ट्रांसपेरेंट
भविष्य में किसी भी तरह का विवाद न हो, इसके लिए भर्ती से जुड़ी सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी। नियम से लेकर एग्जाम डिटेल तक सब कुछ ओपन रहेगा। इससे कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी कम लगेंगे।
दो से ढाई लाख नौकरियों पर होगी भर्ती
आने वाले 2-3 सालों में करीब दो से ढाई लाख सरकारी पदों पर भर्तियां होंगी। इसके लिए विभागीय भर्ती नियम भी एक समान किए जाएंगे, ताकि विज्ञापन निकालने और परीक्षा कराने में देरी न हो।
यह भी पढ़िए :- मध्यप्रदेश में बदला मौसम का मूड,कहीं बारिश तो कहीं भीषण गर्मी का दौर, देखे अपडेट
लक्ष्य: जनवरी 2026 से लागू करना
सरकार की कोशिश है कि यह नई व्यवस्था सितंबर तक पूरी तरह फाइनल कर ली जाए और जनवरी 2026 से लागू कर दी जाए। मकसद है- पारदर्शिता, समय पर भर्ती और बार-बार एग्जाम का झंझट खत्म करना।