Electric Bus : भोपाल शहर में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सशक्त और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल होने जा रही है। दिसंबर 2025 से शहर में लो-फ्लोर डीजल बसों के स्थान पर ई-मिडी बसें सड़कों पर दौड़ने लगेंगी। ये बसें खास तौर पर छोटे और मध्यम दूरी के रूट्स के लिए डिजाइन की गई हैं, जिनमें 30 से 35 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी।
यह भी पढ़िए :- MP Weather : मध्यप्रदेश में बारिश का कहर, कई जिलों में भारी वर्षा, रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए ग्रीन सेल कंपनी का चयन किया है, जो भारत सरकार और राज्य सरकार की सहायता से संचालित होगी।
ग्रीन सेल कंपनी बनाएगी डिपो और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
ग्रीन सेल कंपनी बसों के संचालन के साथ-साथ इनके रख-रखाव और चार्जिंग की जिम्मेदारी भी निभाएगी। इसके लिए बीएचईएल की खाली पड़ी जमीन पर, चेतक ब्रिज स्थित कस्तूरबा नगर के पास एक आधुनिक बस डिपो और चार्जिंग स्टेशन तैयार किया जा रहा है। यहीं पर सभी बसों की पार्किंग, मरम्मत और चार्जिंग की जाएगी।
इस परियोजना के पहले चरण में 26 और 21 सीटर बसें भोपाल में सड़कों पर उतरेंगी। कुल 472 मिडी (26 सीटर) और 110 मिनी (21 सीटर) बसें प्रदेश के छह शहरों – इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर के लिए आवंटित की गई हैं।
सरकार देगी संचालन और रखरखाव का खर्च
बीसीएलएल के अनुसार, सरकार ग्रीन सेल कंपनी को 12 वर्षों तक बसों के संचालन और रखरखाव के लिए भुगतान करेगी। प्रति बस सरकार 22 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से सहायता प्रदान करेगी, जबकि कंपनी को 58.14 रुपये प्रति किलोमीटर भुगतान किया जाएगा। हर बस को न्यूनतम 180 किलोमीटर प्रतिदिन चलाना अनिवार्य होगा।
एमपीईबी बनाएगा चार्जिंग स्टेशन, 60 करोड़ की लागत
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल (MPEB) इस परियोजना के अंतर्गत छह शहरों में चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण करेगा। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में दो-दो चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जबकि उज्जैन, जबलपुर और सागर में एक-एक स्टेशन बनाया जाएगा। इसके लिए 41 किलोमीटर लंबी हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी और लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
यह भी पढ़िए :- MP News : लाड़ली बहनो के खाते में आएंगे अब 1500 रूपये, 416 करोड़ के 6 नए उद्योगों का शिलान्यास
कब तक आएंगी बसें ?
बीसीएलएल की सीईओ अंजू अरुण कुमार के अनुसार, ई-मिडी बसों की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और दिसंबर तक ये बसें भोपाल में पहुंच जाएंगी। इससे न केवल शहर में ट्रैफिक की स्थिति सुधरेगी बल्कि प्रदूषण भी कम होगा और नागरिकों को एक सुरक्षित व आरामदायक परिवहन विकल्प मिलेगा।