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आटे की कीमत में इजाफा पर गेहूं के दाम जस के तस, जाने इसकी बड़ी वजह

पिछले कुछ महीनों से थोक मंडी में गेहूं का भाव MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से काफी ऊपर चल रहा था। इस वजह से हम जैसे आम लोगों को आटा भी महंगा खरीदना पड़ रहा था। लेकिन अब गेहूं का भाव तो कम हो गया है, फिर भी आटा महंगा ही है। गेहूं और आटे की कीमतों में इतना बड़ा फर्क क्यों है, ये समझ में नहीं आ रहा।

यह भी पढ़िए :- गर्मी की छुट्टियों के मजे लूटने चल रही समर स्पेशल ट्रैन, देखे रूट और टाइमिंग

मार्च तक गेहूं का MSP ₹2275 प्रति क्विंटल था। सरकार ने कीमतें कंट्रोल करने के लिए कई तरीके अपनाए, ताकि गेहूं सस्ता हो सके। अब नई फसल आने से बाजार में गेहूं की आवक बढ़ गई है, और कीमतें भी काफी नीचे आ गई हैं। लेकिन इसका फायदा हम आम ग्राहकों को नहीं मिल रहा है।

सरकारी रिपोर्ट में क्या है?

10 अप्रैल की उपभोक्ता मामलों के विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, आटा ₹38 से ₹71 प्रति किलो तक बिक रहा है। वहीं, गेहूं का औसत भाव ₹25 प्रति किलो है। भले ही गेहूं का सबसे ज्यादा भाव ₹58 प्रति किलो तक गया था, लेकिन अभी भी कीमतों में बहुत अंतर है, जिसकी वजह से हमें महंगा आटा खरीदना पड़ रहा है।

सरकार ने क्या किया था?

गेहूं की कीमतें कम करने के लिए सरकार ने Open Market Sale Scheme (OMSS) के तहत नीलामी करके गेहूं बेचा, ताकि बाजार में गेहूं आए और कीमतें कम हों। इसके अलावा, सरकार ने गेहूं के स्टॉक रखने की लिमिट भी तय कर दी थी, जो 31 मार्च 2025 तक लागू थी।

व्यापारियों ने कम किया स्टॉक

सरकार ने व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की लिमिट घटा दी थी। पहले वो 1000 मीट्रिक टन तक गेहूं रख सकते थे, लेकिन अब सिर्फ 250 मीट्रिक टन ही रख सकते हैं। इसी तरह, खुदरा विक्रेता अब हर दुकान पर सिर्फ 4 मीट्रिक टन गेहूं रख सकते हैं, जबकि पहले 5 मीट्रिक टन तक रख सकते थे। स्टॉक लिमिट कम करने से व्यापारियों ने ज्यादा अनाज जमा करके कीमतें नहीं बढ़ाईं।

यह भी पढ़िए :- MP विंध्य पर्वतमाला में मिले पत्थर के करीब डेढ़ लाख साल पुराने औजार,लैब में होगी जाँच-पड़ताल

इन सब कोशिशों के बाद गेहूं की कीमतें, जो पहले ₹2800 प्रति क्विंटल या उससे भी ज्यादा थीं, अब ₹2200 से ₹2500 के बीच आ गई हैं। लेकिन जब हम आटा खरीदने जाते हैं, तो वो अभी भी उतना ही महंगा मिल रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार ने गेहूं सस्ता करके आम आदमी को तो भुला ही दिया है।

Ankush Baraskar

मेरा नाम अंकुश बारस्कर है मैं लगातार 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्य कर रहा हूँ। pradeshtak.com के साथ मैं पिछले 1 वर्ष से जुड़ा हूँ. खेती और देश की मुख्य खबरों में मेरी विशेष रूचि है. देश की हर खबर सबसे पहले पाने के लिए pradeshtak.com के साथ जुड़े रहे।

आटे की कीमत में इजाफा पर गेहूं के दाम जस के तस, जाने इसकी बड़ी वजह

पिछले कुछ महीनों से थोक मंडी में गेहूं का भाव MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से काफी ऊपर चल रहा था। इस वजह से हम जैसे आम लोगों को आटा भी महंगा खरीदना पड़ रहा था। लेकिन अब गेहूं का भाव तो कम हो गया है, फिर भी आटा महंगा ही है। गेहूं और आटे की कीमतों में इतना बड़ा फर्क क्यों है, ये समझ में नहीं आ रहा।

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मार्च तक गेहूं का MSP ₹2275 प्रति क्विंटल था। सरकार ने कीमतें कंट्रोल करने के लिए कई तरीके अपनाए, ताकि गेहूं सस्ता हो सके। अब नई फसल आने से बाजार में गेहूं की आवक बढ़ गई है, और कीमतें भी काफी नीचे आ गई हैं। लेकिन इसका फायदा हम आम ग्राहकों को नहीं मिल रहा है।

सरकारी रिपोर्ट में क्या है?

10 अप्रैल की उपभोक्ता मामलों के विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, आटा ₹38 से ₹71 प्रति किलो तक बिक रहा है। वहीं, गेहूं का औसत भाव ₹25 प्रति किलो है। भले ही गेहूं का सबसे ज्यादा भाव ₹58 प्रति किलो तक गया था, लेकिन अभी भी कीमतों में बहुत अंतर है, जिसकी वजह से हमें महंगा आटा खरीदना पड़ रहा है।

सरकार ने क्या किया था?

गेहूं की कीमतें कम करने के लिए सरकार ने Open Market Sale Scheme (OMSS) के तहत नीलामी करके गेहूं बेचा, ताकि बाजार में गेहूं आए और कीमतें कम हों। इसके अलावा, सरकार ने गेहूं के स्टॉक रखने की लिमिट भी तय कर दी थी, जो 31 मार्च 2025 तक लागू थी।

व्यापारियों ने कम किया स्टॉक

सरकार ने व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की लिमिट घटा दी थी। पहले वो 1000 मीट्रिक टन तक गेहूं रख सकते थे, लेकिन अब सिर्फ 250 मीट्रिक टन ही रख सकते हैं। इसी तरह, खुदरा विक्रेता अब हर दुकान पर सिर्फ 4 मीट्रिक टन गेहूं रख सकते हैं, जबकि पहले 5 मीट्रिक टन तक रख सकते थे। स्टॉक लिमिट कम करने से व्यापारियों ने ज्यादा अनाज जमा करके कीमतें नहीं बढ़ाईं।

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इन सब कोशिशों के बाद गेहूं की कीमतें, जो पहले ₹2800 प्रति क्विंटल या उससे भी ज्यादा थीं, अब ₹2200 से ₹2500 के बीच आ गई हैं। लेकिन जब हम आटा खरीदने जाते हैं, तो वो अभी भी उतना ही महंगा मिल रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार ने गेहूं सस्ता करके आम आदमी को तो भुला ही दिया है।

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